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Showing posts from February, 2020

Inqilab Aya tha, inqilab ayega

Inqilab Aya tha, inqilab ayega Jab jab ise dabaya, tab tab sailab Aya Inqilab Aya tha, inqilab ayega Zulm tb bhi ta, zulm abhi hai Zulmi tab bhi tha, zulmi ab bhi hai Inqilab Aya tha, inqilab ayega Likha gya tha khoon se hamare-2 Azadi ka nara, To Ab bhi likha jayega Inqilab Aya tha, inqilab ayega Wo bhi ek daur tha, ye bhi ek daur  Zulm tb bhi ufaan pe that zulm ab bhi ufan par hai  Inqilab Aya tha, inqilab ayega Tere bazun me dum kaha, Jo Hume gira sake  Inqilab Aya tha, inqilab ayega

Jamia send notice HM of 2.66 Crore

जामिआ मिलिया इस्लामिआ यूनिवर्सिटी ने केंद्र को भेजा 2.66 करोड़ का बिल  १५ दिसम्बर को दिल्ली पुलिस और C.R.P.F के द्वारा यूनिवर्सिटी के अंदर घुस कर छात्रों पर हमला करने और लाइब्रेरी में तोड़ फोड़ करने पर केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय को भेजा बिल  १५ दिसम्बर को जामिआ के अंदर पुलिस ने की तोड़ फोड़ का वीडियो सामने आने के बाद जामिआ ने लिया फैसला और भेजा केंद्र को बिल  १५ दिसंबर के वीडियो   देखे किस तरह पुलिस ने लाइब्रेरी में तोड़ फोड़ की जामिआ यूनिवर्सिटी ने बताया 25 CCTV कैमरा तोड़े है कमरों की कीमत 4.75 लाख रूपए बताई गई है   लाइब्रेरी की टेबल्स तोड़ी है, कुर्सियां तोड़ी है 

क्या क्या खरीदोगे

यहाँ ये भी बिकता है, यहाँ वो भी बिकता है यहाँ ये भी बिकता है, यहाँ वो भी बिकता है यहाँ पान भी बिकता है, यहाँ पानी भी बिकता है यहाँ हवा भी बिकती है, यहाँ हवस भी बिकती है यहाँ जिस्म भी बिकता है, यहाँ रूह भी बिकती है यहाँ इंसान भी बिकता है, यहाँ ईमान भी बिकता है यहाँ जज भी बिकता है, यहाँ न्याय भी बिकता है यहाँ पत्र भी बिकता है, यहाँ पत्रकार भी बिकता है  यहाँ अदा भी बिकती है, यहाँ अदाकार भी बिकता है  यहाँ खून भी बिकता है, यहाँ खुनी भी बिकता है  यहाँ चित्र भी बिकता है, यहाँ चित्रकार भी बिकता है तुम सिर्फ कीमत लगाओ, क्यों की यहाँ हर इंसान बिकता है.

Second Pilar of Democracy Fall?

लोक तंत्र का दूसरा स्तम्भ गिरा ? न्याय व्यवस्था पर उठे सवाल  2002 के दंगा करने वालो को सुप्रीम कोर्ट से ज़मानत  लड़की का बलातकार करने वालो को ज़मानत  देश में हर तरफ जनता आंदोलन कर रह रही है और उच्च न्यायलय सो रहा है  देश की अवाम पर रोज़ गोलियां चल रही है और उच्च न्यायलय सो रहा है  जनता को गोली मारो के नारे दिए  जा रहे है और उच्च न्यायलय सो रहा है  आखिर देश का एक स्तम्भ इस तरह कमज़ोर क्यों पड़ा  आखिर कार क्यों मुज़रिमों को ज़मानत मिल रही है  दूसरी तरफ बेगुनाहो को जेल में डाला जा  उनको ज़मानत तक नहीं मिल रही  इतना कमज़ोर क्यों  है  कौनसी ताकते इस पर हावी है  एक तरफ़ा फैसला क्यों दिया जरा है  हमारा देश आखिर किस जानिब जा रहा है  सत्ता का काबिज़ लोग ये भूल गए है वह सिर्फ जनता के नौकर है  जो जनता की दी गई टैक्स से  जीते है  अब वक़्त आ गया है उन्हें हम बता दे के वह मालिक नहीं नौकर है और सत्ता पर तभी तक काबिज़ रह सकते है जब तक हम चाहते है  अब वक़्त आ गया है के इन्हे सत्ता से हटा दे