हाल ही में ज़ी टीवी के इस डीएनए शो, जो 11 मार्च की रात को प्रसारित हुआ था इसमें उन्होंने आम जनमानस को मुस्लिम समुदाय के खिलाफ़ भड़काने में सारी हदें पार करके रख दीं. सुधीर चौधरी ने जिहाद शब्द को इतने तरीकों से परिभाषित किया है, जितनी किस्म की लिपस्टिक मार्केट में मौजूद न होंगी.
ज़ी टीवी के डीएनए शो के ज़रिये देश के गैर मुस्लि’म समुदाय को भारतीय मुसलमानों के खिलाफ नफर’त का बीज बोने का काम किया जा रहा है. हालांकि इससे पहले भी सुधीर चौधरी अपने डीएनए शो में कई बार पहले भी इस तरह के काम करते आये हैं.
जिस दिन इस देश के मीडिया ने असलियत दिखाना शुरू कर दी, उस दिन भारत सोने की चिड़िया बन जायेगा
मीडिया का एक बड़ा भाग, देश की स्तिथि जैसे के इकॉनोमी और सबसे गंभी’र कोरोना के हालातों से बेखबर इस देश की जनता को सच दिखाने से क्यों परहेज़ कर रहा है. अभी हाल ही में दिल्ली में हुई घट’नाओं की रिपोर्टिंग को ही देखा जाए तो ऐसे दलाल मीडिया के एंकर एक समुदाय विशेष को टारगेट बनाते हुए लोगों को भड़काने का काम कर रहे हैं.
ज़ी टीवी के सुधीर चौधरी अपने DNA Show में कई बार ऐसे कुकृत्य करते आए हैं, जिसमें कहीं से भी इंसानियत नहीं झलकती, वो एक मौका नहीं छोड़ते समुदाय विशेष के खिलाफ ज़हर उगलने पर.
सुधीर चौधरी के ट्विटर अकाउंट पर भी कुछ ख़ास किस्म के ट्वीट देखने को मिल जायेंगे. ज़रूरी मुदों को छोड़ कर इस कार्यक्रम के दौरान समुदाय विशेष के खिलाफ जितनी नफरत फैलाई गयी है, वो शायद मीडिया के किसी और सोर्स से नहीं फैली.
इनके रिपोर्ट का आधार का 80% सिर्फ मुस्लिम होता है. भारतीय मुस्लिमों के खिलाफ आम जनमानस में नफरत भरने का काम अकेला जी टीवी ही नहीं कर रहा है, इसके अलावा भी कुछ और चैनल और अखबार हैं जो रात दिन मुस्लिमों के खिलाफ खबरें प्रकाशित करने का काम करते हैं.
लोगों में नफरत फैलाने का काम करता ज़ी टीवी
देश में ज़ी टीवी समेत कुछ मीडिया कर्मी एक तरह से बौद्धिक आतंक फैला रहे हैं, अधिकतर देश के लोग सोशल मीडिया पर हैं. लेकिन देश का एक ऐसा बड़ा भाग सोशल मीडिया पर ना होकर सिर्फ टीवी को ही देखता है जिसमें से खासतौर से महिलाएं और बुजुर्ग शामिल हैं.
इन लोगों ने कई दफा लव जिहाद जैसे शब्दों का इस्तेमाल करते हुए, लोगों में मुस्लिम नौजवानों के खिलाफ प्रोपगेंडा फैलाया. जिससे आपसी मोहब्बतों में न सिर्फ कमी आयी, वल्कि लोगों की कई सालों की दोस्ती तक जाती रही.
क्या कर रहे हैं मुस्लिम धर्म गुरु और उलेमा?
देश में मुस्लिमों की हालत बाद से बदतर होती जा रही है, और मुस्लिम धर्म गुरु और उनके कई धार्मिक संगठन यहां तक कि खुद मुस्लिमों के उलेमा भी इनके खिलाफ, अभी तक कोर्ट क्यों नहीं गए यह बात समझ नहीं आती.
दरअसल माना जाए तो मुस्लि’म समाज मजधार में फंसी एक ऐसी नाव है, जिसके सवार शायद ही कभी किनारे से लग पाएंगे. कांग्रेस हो या केजरीवाल सबने इस समुदाय को एक वोट बैंक से ज़्यादा कुछ नहीं समझा.
कई मुस्लिमों के नेता बने लोगों ने भी इनका जमकर इस्तेमाल किया और अपनी वोट बैंक की राजनीति को खूब चमकाया. सोशल मीडिया पर भी कई ऐसे अकाउंट देखे जा सकते हैं, जो सिर्फ और सिर्फ इस समुदाय के खिलाफ, नफरत फैलाने का काम कर रहे हैं.
हैरत की बात तो यह भी है कि इन सोशल मीडिया अकाउंट की रिपोर्ट करने के बावजूद भी पुलिस या उक्त वेबसाइट द्वारा न के बराबर ही कार्रवाई होती है.
जबकि सोशल मीडिया पर आज भी ऐसा कंटेंट मौजूद है, जो वहां मौजूद नहीं होना चाहिए. फिलहाल देश के लोगों को जरूरत है ऐसे शो का बहिष्कार करने की जो आपको किसी ख़ास मकसद के लिए उकसाता हो या आपको किसी तरह के सामाजिक बहिष्कार का हिस्सा बनाता हो.
Comments
Post a Comment